आज हम जानेंगे डॉस (DOS) की बुनियादी संरचना और उसके मुख्य घटकों के बारे में। यह एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसने शुरुआती कंप्यूटर युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अगर आप कंप्यूटर की मूल प्रणाली को समझना चाहते हैं या पुराने सिस्टम्स के काम करने के तरीके को जानना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए बेहद उपयोगी होगी। आइए, डॉस की दुनिया को सरल शब्दों में step-by-step समझते हैं।
विषयसूची (Table of Contents)
DOS की कार्यप्रणाली (How DOS Works)
डॉस का मुख्य काम उपयोगकर्ता और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक ब्रिज का काम करना है। जब आप कोई कमांड टाइप करते हैं, तो डॉस उसे समझकर हार्डवेयर (जैसे—हार्ड डिस्क, कीबोर्ड, मॉनिटर) को निर्देश देता है। डॉस की कार्यप्रणाली को निम्न steps में समझा जा सकता है:
- कमांड स्वीकार करना:
यूजर कीबोर्ड से जो टेक्स्ट टाइप करता है, उसे DOS पढ़ता है। यह पहला कदम इनपुट को सिस्टम तक पहुँचाने का है। - कमांड इंटरप्रिटेशन:
यूजर से इनपुट या कमांड प्राप्त होने पर DOS यह समझता है कि वह कमांड किस काम के लिए है — क्या यह सिस्टम की अपनी कमांड है, कोई प्रोग्राम चलाने का निर्देश है, या किसी फ़ाइल को खोलने के लिए दिया गया है। - संसाधन प्रबंधन:
यूजर द्वारा प्राप्त कमांड के लिए DOS आवश्यक संसाधन तैयार करता है, जैसे मेमोरी, फाइलें और डिवाइस, ताकि कमांड को ठीक तरह से चलाया जा सके। - आउटपुट दिखाना:
कमांड पूरा होने के बाद उसका परिणाम स्क्रीन, प्रिंटर या किसी अन्य डिवाइस पर दिखाया जाता है।
DOS के मुख्य भाग (Main Components of DOS)
डॉस मुख्य रूप से तीन सिस्टम फाइलों और बूटिंग प्रक्रिया पर आधारित है। चलिए इसे समझते हैं
1. Booting Process (बूटिंग प्रक्रिया):
कंप्यूटर ऑन होते ही सबसे पहले BIOS सक्रिय होता है। BIOS हार्डवेयर की बेसिक जाँच करता है और फिर बूट-लोडर को ढूँढकर प्राथमिक सिस्टम फाइलों को मेमोरी में लोड कराता है — यही पूरी प्रक्रिया बूट कहलाती है।2. System Files (सिस्टम फ़ाइलें):
डॉस की संरचना में कुछ प्रमुख सिस्टम फाइलें होती हैं, जो कंप्यूटर को प्रारंभ करने और कमांड निष्पादन में अहम भूमिका निभाती हैं। ये प्रमुख फाइल्स निम्न हैं:
- IO.SYS:
यह फाइल इनपुट/आउटपुट डिवाइस (जैसे—कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर) को कंट्रोल करती है। यह हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच इंटरफेस का काम करती है। - MSDOS.SYS:
सिस्टम के प्रमुख लॉजिक और फ़ाइल/मेमोरी प्रबंधन के हिस्से को संभालने वाली फ़ाइल। इसे DOS का नियंत्रक कहा जा सकता है। - COMMAND.COM:
यह यूजर और ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच इंटरफ़ेस का काम करता है। यह यूजर द्वारा दिए गए कमांड को पढ़ता है, उन्हें समझता है और सिस्टम में संबंधित कार्यों को निष्पादित (execute) करता है। - उदाहरण: मान लीजिए आप DIR कमांड टाइप करते हैं। COMMAND.COM इस कमांड को पहचानता है, MSDOS.SYS को निर्देश देता है, और MSDOS.SYS, IO.SYS की मदद से हार्ड डिस्क से डाटा पढ़कर स्क्रीन पर दिखाता है।
DOS Prompt क्या है? (What is DOS Prompt?)
डॉस की बूटिंग पूरी हो जाने के बाद अर्थात जब DOS पूरी तरह से RAM में लोड हो जाता है, तब स्क्रीन पर एक blinking cursor के साथC:\> जैसा संकेत दिखाई देता है। इस संकेत को DOS Prompt या Command Prompt कहा जाता है।
यह वह स्थान है, जहाँ यूजर कमांड टाइप करता है, ताकि ऑपरेटिंग सिस्टम उसे समझकर आवश्यक कार्य कर सके।
- C: दर्शाता है कि आप C ड्राइव पर हैं।
- बैकस्लैश (\) रूट (top-level) डायरेक्टरी को दिखाता है।
- यह संकेत करता है कि सिस्टम अगले कमांड के लिए तैयार है।
- आप कमांड टाइप करके Enter दबाते हैं — COMMAND.COM उसे पढ़कर निष्पादित (Execute) कर देता है।
डायरेक्टरी संरचना,पथ एवं फाइल (Directory , path and File)
किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में डेटा को सुव्यवस्थित रूप से संग्रहीत (store) करने के लिए डायरेक्टरी (Directory) और फाइल (File) का उपयोग किया जाता है। DOS (Disk Operating System) जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम में फाइलें विभिन्न डायरेक्टरियों में रखी जाती हैं, जिससे डेटा को आसानी से खोजा और व्यवस्थित किया जा सके।
डायरेक्टरी / फोल्डर (Directory / Folder)
एक डायरेक्टरी (जिसे आजकल फोल्डर कहा जाता है) एक प्रकार का कंटेनर है, जिसका उपयोग संबंधित फाइलों और अन्य फोल्डरों को एक साथ रखने और व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है। DOS में डायरेक्टरी संरचना एक Tree Structure (वृक्ष संरचना) के रूप में होती है। इसमें Root Directory सबसे ऊपर होती है, और उसके अंतर्गत Subdirectories तथा फाइलें रहती हैं।
नीचे डायरेक्टरी संरचना या डायरेक्टरी के प्रकार के बारे में बताया गया है :
1. रूट डायरेक्टरी (Root Directory)
- यह DOS की सबसे ऊपरी डायरेक्टरी होती है।
- इसे backslash (\) द्वारा दर्शाया जाता है
- उदाहरण: C:\
- सभी फाइलें और सब-डायरेक्टरी इसी Root Directory के अंदर होती हैं।
2. करंट डायरेक्टरी (Current Directory)
- यह वह डायरेक्टरी होती है, जिसमें यूजर वर्तमान में काम कर रहा होता है।
- डॉस प्रॉम्प्ट (जैसे C:\DOCS>) में DOCS करंट डायरेक्टरी हैं।
3. सब-डायरेक्टरी (Sub-directory)
- जब कोई डायरेक्टरी किसी दूसरी डायरेक्टरी के अंदर बनाई जाती है, तो उसे सब-डायरेक्टरी कहते हैं।
- उदाहरण: C:\DOCS\STUDNET में, STUDENT, DOCS डायरेक्टरी की एक सब-डायरेक्टरी है।
4. पैरेंट डायरेक्टरी (Parent Directory)
- वह डायरेक्टरी जो किसी अन्य डायरेक्टरी (सब-डायरेक्टरी) को अपने अंदर रखती है, पैरेंट डायरेक्टरी कहलाती है।
- सरल शब्दों में, यह डायरेक्टरी स्ट्रक्चर में एक स्तर ऊपर वाली डायरेक्टरी होती है।
- उदाहरण: C:\DOCS\STUDENT में, DOCS, STUDENT की पैरेंट डायरेक्टरी है।
पाथ (Path)
- पाथ वह रास्ता होता है, जो आपको करंट डायरेक्टरी से किसी विशेष फाइल या फोल्डर तक पहुँचने के लिए तय करना पड़ता है।
- यह डायरेक्टरियों के नामों को बैकस्लैश (\) से अलग करके लिखा जाता है।
- उदाहरण: C:\DOCS\STUDENT\INFO.TXT एक पूरा पाथ है, जो INFO.TXT फाइल का सटीक location बताता है।
फाइल (File)
- एक फाइल डेटा या सूचना को संग्रहीत (Store) करने का एक कंटेनर है।
- इसका उपयोग टेक्स्ट, प्रोग्राम या कोई अन्य जानकारी रखने के लिए किया जाता है, ताकि बाद में आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सके।
- हर फाइल का एक नाम और एक एक्सटेंशन होता है, जो फाइल के प्रकार को दर्शाता है।
- उदाहरण: MARKS.TXT - यहाँ MARKS फाइल का नाम है और .TXT इसका एक्सटेंशन है।
- कुछ सामान्य फाइल एक्सटेंशन:
- .TXT – Text File
- .BAT – Batch File
- .SYS – System File
- .EXE – Executable File
- .COM – Command File
