CRT मॉनिटर क्या है? Working, Types, Features, Advantages and Disadvantages in Hindi

CRT मॉनिटर कंप्यूटर इतिहास का सबसे पुराना और शुरुआती डिस्प्ले डिवाइस माना जाता है। इसका पूरा नाम Cathode Ray Tube Monitor है। इसे 20वीं सदी के मध्य में विकसित किया गया था और लगभग पचास वर्षों तक यही तकनीक कंप्यूटर और टेलीविज़न में इस्तेमाल होती रही।

इस मॉनिटर की सबसे बड़ी पहचान इसका भारी और उभरा हुआ पिछला हिस्सा है। पुराने ज़माने के टीवी जैसे दिखने वाले ये मॉनिटर डेस्क पर काफी जगह घेरते थे। फिर भी, इनकी तस्वीर की गुणवत्ता बेहद साफ़ और रंगों से भरपूर होती थी। वीडियो देखने और गेम खेलने वालों के लिए यह समय का बेहतरीन विकल्प था।

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CRT मॉनिटर क्या है? (What is CRT Monitor?)

CRT मॉनिटर एक कैथोड रे ट्यूब (Cathode Ray Tube) पर आधारित डिस्प्ले डिवाइस है, जो इलेक्ट्रॉनों की किरणों (Electron Beams) के माध्यम से स्क्रीन पर हाई क्वालिटी वाले चित्र, ग्राफिक्स और रंगीन इमेज प्रदर्शित करता है। यह भारी, पीछे उभरा हुआ और मजबूत बनावट वाला होता है।

CRT मॉनिटर का इतिहास (History of CRT Monitor)

CRT मॉनिटर का इतिहास 19वीं सदी के अंत से शुरू होता है। इसका विकास धीरे-धीरे कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों के योगदान से हुआ।

  • शुरुआती खोज (1890 – 1920)
    • सीआरटी तकनीक की शुरुआत 1897 में हुई, जब जर्मन भौतिक विज्ञानी कार्ल फर्डिनेंड ब्राउन (Karl Ferdinand Braun) ने पहली कैथोड रे ट्यूब का आविष्कार किया।
    • इस आविष्कार के लिए उन्हें 1909 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
    • ब्राउन की यह ट्यूब "ब्राउन ट्यूब (Braun Tube)" के नाम से प्रसिद्ध हुई, जो आगे चलकर CRT तकनीक का आधार बनी।
  • टेलीविजन युग (1920 – 1950)
    • 1920 के दशक में वैज्ञानिकों ने CRT का उपयोग टेलीविजन स्क्रीन के रूप में करना शुरू किया।
    • 1930 के दशक में अमेरिका और यूरोप में CRT आधारित टीवी आने लगे।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद (1945 के बाद) CRT तकनीक तेजी से विकसित हुई और व्यावसायिक रूप से लोकप्रिय हुई।
  • कंप्यूटर मॉनिटर के रूप में प्रयोग (1950 – 1980)
    • 1950 के दशक में CRT का उपयोग मेनफ्रेम और मिनी कंप्यूटर में डिस्प्ले के रूप में होने लगा।
    • प्रारंभिक मॉनिटर केवल टेक्स्ट दिखाते थे (Monochrome)।
    • 1970 के दशक में Color CRT Monitors विकसित हुए, जिनमें RGB तकनीक का प्रयोग हुआ।
  • आधुनिक CRT मॉनिटर युग (1980 – 2000)
    • 1980–90 के दशक में CRT मॉनिटर अपनी शानदार तस्वीर गुणवत्ता और टिकाऊपन के कारण बेहद लोकप्रिय था।
    • उस दौर में इन्हें VGA (Video Graphics Array), SVGA और XGA तकनीकों के साथ प्रयोग किया गया।
    • गेमिंग, ग्राफिक डिजाइन और मल्टीमीडिया में CRT प्रमुख डिस्प्ले तकनीक थी।
  • पतन और अंत (2000 के बाद)
    • 2000 के बाद LCD, LED और OLED जैसी फ्लैट-पैनल तकनीकों के आने से CRT का उपयोग धीरे-धीरे कम होने लगा।
    • 2010 के बाद CRT मॉनिटर लगभग बंद हो गए और अब केवल पुराने उपकरण या प्रयोगशालाओं में ही मिलते हैं।

CRT मॉनिटर का कार्य सिद्धांत (Working Principle)

CRT (Cathode Ray Tube) मॉनिटर पुरानी तकनीक पर आधारित है , जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न करता है। इसमें एक विशेष ट्यूब होती है , जिसमें Electron Beam (इलेक्ट्रॉन किरणें) स्क्रीन पर टकराकर चित्र बनाती हैं।

पूरी स्क्रीन पर चित्र बनने की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

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  • इलेक्ट्रॉन गन (Electron Gun)
    • CRT मॉनिटर की कार्यप्रणाली का आधार एक इलेक्ट्रॉन गन होती है। इसमें मौजूद कैथोड गर्म होने पर इलेक्ट्रॉनों की किरणें उत्सर्जित करता है। ये किरणें जब स्क्रीन की फॉस्फर परत से टकराती हैं, तो वह चमक उठती है और हमें चित्र दिखाई देता है।
    • पुराने ब्लैक एंड व्हाइट (या मोनोक्रोम) मॉनिटर में केवल एक इलेक्ट्रॉन गन होती थी, जो स्क्रीन पर सफेद या हरे रंग की रोशनी उत्पन्न करती थी।
    • वहीं, रंगीन CRT मॉनिटर में तीन अलग-अलग इलेक्ट्रॉन गन होती हैं: एक लाल (Red) रंग के लिए, दूसरी हरा (Green) रंग के लिए, और तीसरी नीला (Blue) रंग के लिए। ये तीनों गन फॉस्फर बिंदुओं को चमकाने का काम करती हैं, जिससे रंगीन तस्वीर दिखाई देती है।
  • कंट्रोल ग्रिड (Control Grid)
    • इलेक्ट्रॉन गन के ठीक सामने कंट्रोल ग्रिड होती है, जो इलेक्ट्रॉन किरण की तीव्रता (Intensity) को कन्ट्रोल करती है। यह स्क्रीन पर चमक और रंगों को प्रभावित करती है:
    • अधिक वोल्टेज: अधिक इलेक्ट्रॉन्स उत्सर्जित होते हैं, जिससे तेज चमक और उजला रंग दिखता है।
    • कम वोल्टेज: कम इलेक्ट्रॉन्स के कारण कम चमक और धुंधला रंग दिखता है।
    • शून्य वोल्टेज: इलेक्ट्रॉन्स रुक जाते हैं, जिससे स्क्रीन पर काला रंग दिखाई देता है।
    • इसी नियंत्रण के कारण स्क्रीन पर विभिन्न चमक स्तर (Brightness Levels) और रंगों की विविधता संभव होती है।
  • Focusing System (फोकसिंग सिस्टम)
    • इलेक्ट्रॉन किरण को एक पतली और केंद्रित किरण (sharp beam) बनाने के लिए फोकसिंग सिस्टम का उपयोग होता है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक या इलेक्ट्रोस्टैटिक लेंस होते हैं, जो किरण को फोकस करते हैं।
    • इससे स्क्रीन पर साफ और तीखी (sharp) तस्वीर बनती है। यदि फोकसिंग सही नहीं होती, तो तस्वीर धुंधली (blurry) दिखाई देती है।
  • डिफ्लेक्शन कॉइल्स (Deflection Coils)
    • डिफ्लेक्शन कॉइल्स इलेक्ट्रॉन किरण को मोड़कर स्क्रीन पर सही स्थान तक पहुँचाती हैं। ये कॉइल्स चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं, जो किरण को ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं ले जाती हैं। इससे स्क्रीन पर पूरी तस्वीर बनती है।
    • Horizontal Coils - किरण को बाएं से दाएं घुमाती हैं
    • Vertical Coils - किरण को ऊपर से नीचे घुमाती हैं
  • फॉस्फर लेपित स्क्रीन (Phosphor Coated Screen)
    • स्क्रीन के अंदरूनी हिस्से पर एक विशेष पदार्थ की परत होती है जिसे फॉस्फर कोटिंग (Phosphor Coating) कहा जाता है। जब उच्च गति से चलने वाले इलेक्ट्रॉन इस पर टकराते हैं, तो फॉस्फर पदार्थ चमक उठता है और प्रकाश उत्पन्न करता है।
    • यही प्रकाश स्क्रीन पर दिखाई देने वाली चित्र और ग्राफिक्स का आधार बनता है।
  • तस्वीर कैसे बनती है? (Image Formation)
    • इलेक्ट्रॉन किरणें बहुत तेज़ी से (सेकंड में कई बार) पूरी स्क्रीन को स्कैन करती हैं। जब फॉस्फर चमकते हैं तो हमारी आंखों को लगातार चित्र दिखाई देता है।

CRT मॉनिटर के प्रकार (Types of CRT Monitor)

CRT मॉनिटर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

1. मोनोक्रोम सीआरटी मॉनिटर ( Monochrome CRT Monitor )

  • Monochrome CRT मॉनिटर केवल एक रंग (अक्सर हरा, सफेद या पीला) प्रदर्शित करता है।
  • इसमें केवल एक इलेक्ट्रॉन गन (Single Electron Gun) होती है।
  • स्क्रीन पर फॉस्फर कोटिंग उसी रंग की रोशनी उत्पन्न करती है।
  • यह रंगीन CRT की तुलना में सस्ता और सरल होता है।
  • मुख्य उपयोग पुराने कंप्यूटर और टर्मिनल में होता था।

2. कलर सीआरटी मॉनिटर ( Color CRT Monitor )

  • Color CRT मॉनिटर में तीन इलेक्ट्रॉन गन (Three Electron Guns) का उपयोग होता है।
  • प्रत्येक गन एक विशेष रंग उत्पन्न करती है:
    • Red Gun (लाल) – लाल रंग के लिए
    • Green Gun (हरा) – हरे रंग के लिए
    • Blue Gun (नीला) – नीले रंग के लिए
  • तीनों इलेक्ट्रॉन बीम फॉस्फर कोटेड स्क्रीन पर टकराकर रंग बनाते हैं।
  • RGB (Red, Green, Blue) के संयोजन से लाखों रंग उत्पन्न होते हैं।
  • इससे स्क्रीन पर स्पष्ट और रंगीन चित्र दिखाई देते हैं।

CRT Monitor की विशेषताएँ (Features of CRT Monitor)

  • उच्च रिफ्रेश रेट (High Refresh Rate): CRT मॉनिटर में रिफ्रेश रेट (चित्र को बार-बार अपडेट करने की गति) अधिक होता है, जिससे चलती हुई तस्वीरें स्मूथ दिखाई देती हैं।
  • व्यापक देखने का कोण (Wide Viewing Angle): CRT मॉनिटर को किसी भी कोण से देखा जा सकता है — रंग या ब्राइटनेस में अधिक फर्क नहीं पड़ता।
  • बेहतर रंग गुणवत्ता (Good Color Quality): यह मॉनिटर सटीक और गहरे रंग दिखाने में सक्षम होता है। विशेष रूप से गेमिंग और ग्राफिक्स के लिए पुराने समय में इसे पसंद किया जाता था।
  • तेज़ प्रतिक्रिया समय (Fast Response Time): CRT मॉनिटर में प्रतिक्रिया समय (Response Time) बहुत तेज़ होता है, जिससे वीडियो और गेमिंग में कोई "लैग" नहीं होता।
  • कम लागत (Low Cost): पुराने समय में CRT मॉनिटर की निर्माण लागत कम थी, इसलिए यह बजट-फ्रेंडली विकल्प था।
  • मजबूत और टिकाऊ (Strong and Durable): CRT मॉनिटर का निर्माण भारी कांच और मजबूत धातु से होता है, जिससे ये टिकाऊ होते हैं और वर्षों तक बिना खराबी के काम करते हैं।

CRT मॉनिटर की सीमाएँ (Limitations or Disadvantages of CRT Monitor )

  • भारी और बड़ा आकार (Bulky and Heavy): CRT मॉनिटर बहुत बड़े और भारी होते हैं, जिससे इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना कठिन होता है।
  • अधिक बिजली की खपत (High Power Consumption): ये मॉनिटर आधुनिक मॉनिटरों की तुलना में बहुत ज़्यादा बिजली खर्च करते हैं, इस कारण गर्म भी जल्दी हो जाते थे।
  • सीमित स्क्रीन रेज़ॉल्यूशन (Limited Resolution): हालाँकि यह विभिन्न रेज़ॉल्यूशन को सपोर्ट करता है, लेकिन आधुनिक हाई-डेफिनिशन डिस्प्ले के मुकाबले इसका रेज़ॉल्यूशन कम और स्पष्टता सीमित होती है।
  • विकिरण उत्सर्जन (Radiation Emission): CRT मॉनिटर से हल्की मात्रा में रेडिएशन निकलता है, जो आँखों और त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • झिलमिलाहट की समस्या (Flicker Problem): CRT मॉनिटर में स्क्रीन लगातार रिफ्रेश होती रहती है, जिससे फ़्लिकरिंग (झिलमिलाहट) होती है। यह लंबे समय तक देखने पर आँखों में दर्द, थकान और सिरदर्द पैदा कर सकता है।
  • पर्यावरण के लिए हानिकारक (Not Eco-friendly): इनमें सीसा (Lead) और अन्य हानिकारक तत्व होते हैं, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हैं।

CRT मॉनिटर बनाम आधुनिक मॉनिटर (CRT Vs Modern Monitor

विशेषता CRT मॉनिटर आधुनिक मॉनिटर (LCD / LED / OLED)
आकार और वजन भारी और बड़ा, पीछे से उभरा हुआ पतला, हल्का और स्टाइलिश
बिजली की खपत ज्यादा बिजली खर्च करता है कम बिजली खर्च करता है, ऊर्जा-कुशल
स्क्रीन गुणवत्ता रंग अच्छे, पर उच्च रेज़ॉल्यूशन सीमित उच्च रेज़ॉल्यूशन (Full HD, 4K), रंग बहुत सटीक
रिफ्रेश रेट और रिस्पांस टाइम तेज़ रिस्पांस टाइम, गेमिंग में अच्छा LED और OLED मॉनिटर में भी तेज़ रिफ्रेश रेट, HDR और बेहतर ग्राफिक्स सपोर्ट
देखने का कोण (Viewing Angle) किसी भी दिशा से देखा जा सकता है LCD में viewing angle सीमित हो सकता है, OLED में व्यापक
तस्वीर की गहराई (Contrast & Black Levels) रंग अच्छे, लेकिन blacks बहुत गहरे नहीं OLED में गहरे काले और उच्च कंट्रास्ट
टिकाऊपन और निर्माण मजबूत, भारी कांच और धातु हल्का, पतला, डिज़ाइन पर जोर
Radiation (विकिरण) हल्का रेडिएशन, लंबे समय तक देखने पर आँखों पर असर बहुत कम या नगण्य रेडिएशन, सुरक्षित
उपयोग पुराने कंप्यूटर, गेमिंग और ग्राफिक्स के लिए आधुनिक कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी, प्रोफेशनल ग्राफिक्स और गेमिंग

सीआरटी मॉनिटर - सामान्य प्रश्न (FAQs)

CRT मॉनिटर कैसे काम करता है?
इलेक्ट्रॉन गन से इलेक्ट्रॉन बीम निकलती है, जो फॉस्फोर लेपित स्क्रीन पर टकराती है। टकराने से फॉस्फोर चमकता है और चित्र बनती है। मैग्नेटिक कॉइल्स इलेक्ट्रॉन बीम को कण्ट्रोल करते हैं।
Phosphor क्या है?
यह एक विशेष रासायनिक पदार्थ है, जो CRT स्क्रीन के अंदर लगा होता है और इलेक्ट्रॉन बीम से टकराने पर प्रकाश उत्सर्जित करता है।
CRT मॉनिटर अब क्यों उपयोग में नहीं हैं?
LCD, LED और OLED जैसी नई तकनीकों के आने से CRT अप्रचलित हो गए हैं, क्योंकि नई तकनीक हल्की, कम बिजली खपत वाली और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करती हैं।
CRT (कैथोड रे ट्यूब) का आविष्कार किसने किया?
CRT यानी कैथोड रे ट्यूब का आविष्कार कार्ल फर्डिनांड ब्राउन (Karl Ferdinand Braun) ने 1897 में किया था।
CRT मॉनिटर में कितने प्रकार के इलेक्ट्रॉन गन होती हैं?
मोनोक्रोम CRT में 1 और कलर CRT में 3 (Red, Green, Blue) इलेक्ट्रान गन होती है।
CRT मॉनिटर की सामान्य रिफ्रेश रेट क्या होती है?
60 Hz या इससे अधिक (अधिक रिफ्रेश रेट पर झिलमिलाहट कम होती है)

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