आज के आधुनिक कंप्यूटर युग में जहाँ Windows और Linux जैसे उन्नत ऑपरेटिंग सिस्टम मौजूद हैं, वहीं इन सबकी नींव रखने वाला सिस्टम था MS-DOS (Microsoft Disk Operating System)। यह एक Command आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम था, जिसने कंप्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव लाया। MS-DOS की मदद से यूजर सीधे कीबोर्ड से कमांड टाइप कर फाइलें बना सकता था, कॉपी कर सकता था, और सिस्टम को कण्ट्रोल कर सकता था।
यह 1980 के दशक में सबसे लोकप्रिय सिस्टमों में से एक था और इसी ने Windows Operating System के विकास की दिशा तय की।
इस लेख में आप जानेंगे —
- MS-DOS क्या है?
- इसका इतिहास और विकास
- इसकी मुख्य विशेषताएँ (Features)
- और Windows से इसका अंतर (Comparison with Windows)
MS-DOS क्या है? (What is MS-DOS?)
MS-DOS का पूरा नाम Microsoft Disk Operating System है। यह एक Command Line Based Operating System है, जिसका उपयोग कंप्यूटर को चालू करने, प्रोग्राम चलाने और फाइलों को मैनेज करने के लिए किया जाता है।
MS-DOS को Microsoft कंपनी ने विकसित किया था और यह 1980 से 1990 के दशक तक सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम में से एक रहा।
MS-DOS का इतिहास (History and Development of MS-DOS)
- 1979 : QDOS (Quick and Dirty Operating System)
- QDOS को इंटेल 8086 प्रोसेसर के लिए 16-बिट ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में Seattle Computer Products (SCP) की आवश्यकता से प्रेरित होकर वहा के एक कर्मचारी Tim Paterson द्वारा बनाया गया था।
- 1980 : Acquisition by Microsoft
- Microsoft ने SCP से QDOS के अधिकार प्राप्त कर लिए और QDOS का नाम बदलकर MS-DOS (Microsoft Disk Operating System) कर दिया ।
- 1981 : Release MS-DOS 1.0
- QDOS पर आधारित MS-DOS 1.0, IBM के पहले पर्सनल कंप्यूटर, IBM PC के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में जारी किया गया था।
- 1983: MS-DOS 2.0
- MS-DOS के इस वर्जन में hierarchal file system पेश किया, जो फ़ाइलों को directories और sub-directories में व्यवस्थित करने की सुविधा देता है। इससे file management में सुधार हुआ और फ़ाइलों को व्यवस्थित करना और ढूँढना आसान हो गया ।
- इस MS-DOS संस्करण में HARD DRIVE के लिए Support प्रदान किया गया।
- 1984: MS-DOS 3.0
- इस वर्जन में High Density Storage Devices, विशेष रूप से 1.2 MB 5.25 इंच फ्लॉपी डिस्क के लिए support प्रदान किया गया था। इससे MS-DOS को पिछले संस्करणों की तुलना में बड़ी मात्रा में डेटा को समायोजित करते हुए, इन डिस्क द्वारा दी गई बढ़ी हुई Storage capacity का उपयोग किया जा सकता था ।
- 1988: MS-DOS 4.0
- इस वर्जन में file management के लिए एक GUI (Graphical User Interface) प्रदान किया, लेकिन compatibility issue के कारण इसे criticism का सामना करना पड़ा ।
- 1991: MS-DOS 5.0
- MS-DOS 5.0 की एक मुख्य विशेषता UNDELETE कमांड की शुरूआत थी। UNDELETE कमांड ने उपयोगकर्ताओं को उन फ़ाइलों को recover करने की अनुमति दी, जो गलती से delete हो जाती थीं।
- इस वर्जन में Full Screen Text Editor शामिल किया गया है ।
- 1991: MS-DOS 6.0
- MS–DOS के इस वर्जन में Disk compression, upper memory optimization और antivirus को include किया गया ।
- 1994: MS-DOS 6.22
- यह MS DOS का अंतिम स्वतंत्र VERSION था । MS-DOS 6.22 के बाद, Microsoft ने अपना ध्यान PERSONAL कंप्यूटरों के लिए PRIMARY OS के रूप में Windows पर केंद्रित कर दिया । इसके बाद MS DOS के जो भी VERSION आये , WINDOW OS के साथ ASSOCIATE होकर आये , जैसे विंडो 95 के साथ DOS 7.0 तथा विंडो 98 के साथ DOS 8.0 ।
MS-DOS की विशेषताएँ (Features of DOS)
MS-DOS अपनी सरलता और भरोसेमंद कार्यप्रणाली के लिए जाना जाता था। नीचे इसकी मुख्य विशेषताएँ दी गई हैं:
- Command Based OS:
- MS-DOS एक Command Line Interface पर आधारित है, जहाँ यूजर Keyboard से कमांड टाइप करके कंप्यूटर को निर्देश देता है।
- Single User OS:
- इसमें एक समय पर केवल एक ही यूजर कार्य कर सकता है।
- Single Tasking OS:
- एक समय में केवल एक ही काम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, आप एक ही समय में फाइल कॉपी और प्रिंट दोनों नहीं कर सकते।
- 16-bit OS:
- MS-DOS एक 16-bit Operating System है, जो 16-bit प्रोसेसर जैसे Intel 8086 और 80286 पर काम करता था। इससे यह एक समय में 16-bit डेटा प्रोसेस कर सकता था।
- Low Resource Requirement:
- इसे चलाने के लिए बहुत कम RAM और डिस्क स्पेस की आवश्यकता होती थी।
- Direct Hardware Access:
- DOS सिस्टम हार्डवेयर से सीधे संपर्क कर सकता था, जिससे यह तेज़ और कुशल होता था।
- File Management System:
- इसमें फाइलों को Directory और Subdirectory के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। यह FAT (File Allocation Table) सिस्टम पर आधारित है।
- MS-DOS में फाइल नाम की एक विशेष संरचना होती है, जिसे 8.3 नामकरण नियम (8.3 Naming Convention) कहा जाता है। इसका अर्थ है कि फाइल का नाम अधिकतम 8 characters लंबा हो सकता है और उसके बाद एक 3 characters का extension दिया जा सकता है।
- Configurable Environment:
- इसमें CONFIG.SYS और AUTOEXEC.BAT फाइलों की मदद से सिस्टम की सेटिंग बदल सकते हैं।
- Portable and Reliable:
- यह छोटे कंप्यूटरों पर भी आसानी से चल सकता था और कम त्रुटियाँ देता था।
- Batch File Execution:
- इसमें कई कमांड्स को एक ही फाइल में लिखकर ऑटोमेटिक रूप से चला सकते हैं।
- Simple Booting Process:
- DOS का Booting System बहुत सरल था, जिससे यह जल्दी स्टार्ट होता था।
Windows और DOS में अंतर (Difference between Windows and DOS)
| बिंदु | MS-DOS | Windows |
|---|---|---|
| इंटरफेस | Command Line Interface (CLI) | Graphical User Interface (GUI) |
| उपयोग में सरलता | कठिन – कमांड याद रखनी पड़ती है | आसान – आइकन और माउस से कार्य |
| मल्टीटास्किंग | एक समय में एक ही काम | एक साथ कई कार्य |
| यूजर संख्या | Single User | Multi User Support |
| मेमोरी उपयोग | बहुत कम मेमोरी में चलता है | अधिक RAM की आवश्यकता |
| स्पीड | बहुत तेज़ (कमांड बेस्ड) | अपेक्षाकृत धीमा |
| फाइल सिस्टम | FAT आधारित | NTFS, FAT32 आदि |
| प्रोग्राम चलाना | Keyboard Command द्वारा | क्लिक या शॉर्टकट से |
| ग्राफिक्स सपोर्ट | नहीं | हाँ (HD Graphics, Multimedia) |
| नेटवर्किंग | सीमित | उन्नत नेटवर्क सपोर्ट |
डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) - सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. IO.SYS
2. MSDOS.SYS
3. COMMAND.COM
• तेज़ और भरोसेमंद था
• हार्डवेयर से सीधे संपर्क कर सकता था
• Configuration बदलना आसान था
• एक समय में एक ही कार्य कर सकता था
• मल्टीयूजर सपोर्ट नहीं था
• आधुनिक नेटवर्किंग और ग्राफिक्स की कमी थी
